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लेखनी प्रतियोगिता -26-Aug-2022


छोड़ अपना नीड़ मैं
आँगन में तुम्हारे आई हूँ
तुमको सादर अर्पित करने
अस्तित्व मेरा ले आई हूँ।

तुमने मुझको आधार दिया
घरबार दिया सत्कार दिया
मेरे एकतरफा जीवन को
नूतन एक संसार दिया।
मैं नई ब्याहता बनकर एक
परिवार बनाने आई हूँ।
तुमको अर्पित करने अपना
अस्तित्व स्वयं बन आई हूँ।

प्रियतमा सुनो, ऐसे न कहो
नारी से ही जग होता है
इस दुनिया में सबसे विशाल
एक नारी का मन होता है।
जब यमुना मिलती गंगा से
यमुना गंगा हो जाती है
पर इस संगम से गंगा भी
ज्यादा पावन हो जाती है।

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15 Comments

Bahot sunder

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shweta soni

27-Aug-2022 07:33 PM

Behtarin rachana

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Anshumandwivedi426

27-Aug-2022 06:06 PM

सभी प्रोत्साहित करने वाले श्रेष्ठजनों को हृदय से धन्यवाद

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